बुधवार, 27 मई 2015

सीप के वजूद में मोती का निर्माण ( लघुकथा )

सीप के वजूद में मोती का निर्माण
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मेघ से उतरी हुई अन्य बूंदों के समान ही सामान्य सी थी वो  । उसमें अगर कुछ था तो  सिर्फ  अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता ।
इसी   काम की प्रतिबद्धता ने उसके जीवन के नये  निर्माण मार्ग प्रशस्त किए  ।

सीपी की नजर ने भाँप लिया था उसमें निहित उसके  आने वाले भविष्य को ।

जीवन में नव प्रभात लिए आलोकित करने को समाज में नई चेतना .......आतुर  थी  स्वंयसिद्धा आज  ।
ईश्वर की भेजीे हुई सौगात सीपी  में ढुंढ ली थी सारी संभावनायें उसने  ।

इस अनुपम संयोग ने  एक मोती का निर्माण शुरू कर दिया  । 

गर्भ सी  गर्म तपिश सह रही थी अब वो  बूंद ...बस  !  एक   मोती बनने की चाह में ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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