शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

पतिता/लघुकथा

शोर शराबे में पूरा मुहल्ला डूबा हुआ था ।
खूब बातें बन रही थी ।
तीन तीन बच्चों की माँ सावित्री पकड़ी गई थी अपने घर में , किसी और के साथ ।
कितनी बातें कही जा रही थी । इतनी गालियाँ सुनकर भी पछतावा नही था उसके चेहरे पर ।
सावित्री अपने ऐय्यास पति कि झुकी हुई सिर को बड़े गुमान से देख रही थी कि उसकी नज़र अपनी ओर देखती बेटी पर पड़ी . अब उसका सिर शर्म से झुक गया था .

कान्ता राॅय

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