गुरुवार, 12 नवंबर 2015

धंधे के लायक/लघुकथा

"ओय ,फिर से धंधा ,क्या है रे ? यहां दिए लेकर फिर बैठ गया , स्कूल नहीं जाना है क्या ? "
" बापू ने कहा है पढ़ाई से अधिक धंधा सीखना जरूरी है "
" पढ़ाई से अधिक....... ,वो कैसे ? "
"बोले कि,पढ़ लिखकर आदमी धंधे के लायक भी नहीं बचता है आजकल , सो पहले आदमी को धंधा करना सीखना चाहिए। "
कान्ता रॉय
भोपाल

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