गुरुवार, 10 मार्च 2016

विवेकानंद ( लघुकथा )


हाँ , आज ही के दिन उसका भी जन्म हुआ था , सिद्धांतवादी माँ धन्य हुई। इसलिए नाम रख दिया विवेकानंद।

समय बीता । विवेकानंद बड़ा हुआ । साथ ही बड़ा हुआ माँ के आँखों का सपना । 
उसका तेजस्वी पुत्र एक दिन देश ,धर्म और जन कल्याण में अपने जीवन की आहुति देगा।

उच्च डिग्री हासिल करने , विवेकानंद कॉलेज के हॉस्टल में रहता था ।
मोहल्ले भर का चहेता , यहां भी खूब नाम कमाए ।

आज छात्रवास में जश्न का माहौल ,आखिर क्यों न हो , चहेते के जन्मदिन का अवसर जो था । माँ का सिद्धांत ,समर्पण ,सपना अब युवा विवेकानंद के हाथों , विहस्की के बोतल में साकार हो रहा था ।

कान्ता रॉय
भोपाल

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