गुरुवार, 10 मार्च 2016

नीरजा ( लघुकथा )


रेस्‍टोरेंट के कोने की टेबल पर , नजर नीची किये वो अकेली खाना खा रही थी । बहुत भूख लगी थी । अपने आस - पास के परिवेश से बेगानी सी थी , कि अचानक एक आवाज आई ।

" क्या मै यहाँ बैठ सकता हूँ ? "

" हूँ " मुँह में कौर डालते हुए वह बेफिक्र थी ।

" आप कहाँ से है ? "

" कोलकाता से " उचटती सी नजर उस पर डाल , फिर से खाने में तल्लीन हो गई ।

" अरे , फिर तो हम-वतन हुए हम आप "

" मतलब ? "

" मतलब , मै भी कोलकाता से हूँ "

" अच्छा ! " उसकी आँखें चमक गई ।

" आपका नाम ? "

" नीरजा "

" और आपका ? "

" सुदीप बनर्जी "

" बहुत बढिया ! यहाँ कैसे ? "

" एम आर हूँ , इस शहर से उस शहर , घूमना ही मेरा काम है "

" और आप ? "

" मै भी आज ही एक अर्जेंट मीटिंग के लिए आई थी , वापस जाने के लिए शाम को ९ बजे ट्रेन है मेरी "

" तो अभी सिर्फ २ बजे है , क्या करेंगी इतने देर ? कहाँ रहेंगी ? "

" क्या करूँगी , हाँ , समस्या तो है , कोई बात नहीं ,स्टेशन पर प्रतिक्षागृह में , कुछ किताबें पढते हुए समय बिताऊँगी "

" रात में १० बजे मेरी भी फ्लाइट है । आप चाहे तो मेरे कमरे में आराम कर सकती है "

" आपको दिक्कत होगी मेरे रहने से "

" अरे ,कोई दिक्कत नहीं "

" फिर चलिए "

" चलिए "

" नहीं नहीं , आप नहीं , मै दूंगी मेरे खाने के पैसे "

" क्या फर्क पडता है नीरजा जी , हम वतन जो ठहरे ,हक बनता है "

" जी "

" कितनी दूर है आपका होटल यहाँ से ? "

" यहीं नजदीक ही है , बस पीछे वाली गली में "

" जी "

" तीसरी मंजिल पर है , आप चढ़ लेंगी ना ? "

" हाँ , चढ़ लूंगी , वैसे आदत तो नहीं है "

" आप यहाँ आराम कीजिये मै रिसेप्सन में जाकर बैठता हूँ ।"

" अरे नहीं , मेरी वजह से आप अपना कमरा छोड़ कर ....आप भी यहीं पर आराम कीजिये । "

" चलिए बातें ही करते है , अपने बारे में बताईये ,घर में कौन कौन है "

" माँ ,बाबा ,दादी ,पत्नी और बेटा है । "

" शादी हो गई है ? बढिया , क्या नाम है पत्नी का ? "

" नीरजा बनर्जी "

" क्या ! मेरा नाम ! "

" हाँ , आपका नाम ! "

" अच्छा है यह फिर तो "

" देखिए अब ८ बज रहे है आपको स्टेशन के लिए निकलना चाहिए ।"

" ओह ,हाँ , आठ बज गये ! बातों में कैसे वक्त बीत गया मालूम ही नहीं पड़ा "

" क्या मै एक पिक लूँ आपके साथ ? "

" हाँ , अवश्य "

" मेरे दिल में एक हसरत जागी है अभी "

" मेरे भी दिल में कुछ जागी है आपके लिए "

" क्या ? "

" पहले आप बताईये "

" नहीं पहले आप "

" ओके , ....... , जाने से पहले एक बार आपके गले लगना चाहता हूँ "

" ओह ! "

" आपकी बारी , अब आप अपने दिल की बताईये "

" बताऊँ ? "

" हाँ , मैं बेसब्र हो रहा हूँ "

" आपके मुँह से अपने लिए " माँ " सुनना चाहती हूँ "

" माँ ! "

" आओ , गले लग जाओ ! "
कान्ता राॅय
भोपाल

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