निर्भया का निर्वाह ( लघुकथा )
" वो निर्भया है ना ..सोनू की मम्मी ! "
" अरे हाँ , वही तो है ... देखो तो हाथों मे चुड़ी और माँग मे सिंदूर .... लगता है .. शादी हो गई उसकी ..! "
" कौन है इसका निर्वाह करने वाला । इतना बडा दिल वाला कौन निकल गया अपने यहाँ ? "
" हो गई शादी यही गनिमत समझो .... वही राधेश्याम का छोरा .... निठल्ला बैठा रहता था जो बीच चौराहे पर ....! जिसकी कही शादी नही हो रही थी उसी ने अपनाया है उसे । निर्भया के बाप ने अपना मकान उसके नाम किया है । तब जाकर ....!!!
ऐसी लडकियों को निठल्ले ही तो अपनाते है । "
कान्ता राॅय
भोपाल
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