सीप के वजूद में मोती का निर्माण
________________________
मेघ से उतरी हुई अन्य बूंदों के समान ही सामान्य सी थी वो । उसमें अगर कुछ था तो सिर्फ अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता ।
इसी काम की प्रतिबद्धता ने उसके जीवन के नये निर्माण मार्ग प्रशस्त किए ।
सीपी की नजर ने भाँप लिया था उसमें निहित उसके आने वाले भविष्य को ।
जीवन में नव प्रभात लिए आलोकित करने को समाज में नई चेतना .......आतुर थी स्वंयसिद्धा आज ।
ईश्वर की भेजीे हुई सौगात सीपी में ढुंढ ली थी सारी संभावनायें उसने ।
इस अनुपम संयोग ने एक मोती का निर्माण शुरू कर दिया ।
गर्भ सी गर्म तपिश सह रही थी अब वो बूंद ...बस ! एक मोती बनने की चाह में ।
कान्ता राॅय
भोपाल
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें