शनिवार, 14 मार्च 2015

डिस्टेंस रिलेशनशिप (लघुकथा )



चंद अक्षर जो ममता और अनुराग से भरे  होते  थे  अचानक से उन अक्षरों में तल्खी नजर आने लगी थी ।

शायद यह नजरों का धोखा ही हो लेकिन एक अनकहा डिस्टेन्स रिलेशनशिप  तो उनके बीच बन ही चुका था  । अनजाने  होकर भी कोई तो कहलाने लगे   थे वो ।

लाॅग आॅफ करके सोने तो गई बिस्तर पर लेकिन आँखों में नींद की जगह आँसुओं के  सैलाब ने ले लिया था ।

पूरी रात आँखों में काटने के बाद सुबह जैसे ही आॅनलाईन आई कि एक मैसेज देख कर  दिल में खुशी की लहर दौड़ गई ।
रिश्ते तो रिश्ते ही होते है चाहे वो क्लोज़ रिलेशनशिप  हो या   डिस्टेन्स रिलेशनशिप  ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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