शनिवार, 14 मार्च 2015

बहना की डोली (लघुकथा )


सीमा पार फिर से युद्ध विराम तोड़ दिया गया था  ।
भैया  ने मिग -२१ की उड़ान से  पहले  फोन पर वादा किया था कि तेरी  डोली को कंधा  देने तेरा भैया जरूर आयेगा ।
बिट्टो  डोली में चढनें से पहले दौड़ कर शेरावाली को मिन्नतें करने लगी ।

" हे मातारानी , तुझे  हाथ जोड़ विनती करती  हूँ । मेरे भैया को सदा सलामत रखना । "-- शादी के जोड़े में बिट्टो भैया की राह तकते हुए  मातारानी से दुआएं कर रही थी कि अचानक ढोल और शहनाई की आवाज बंद हो गई । बिट्टो दौड़ कर दरवाजे की ओर भागी और स्तब्ध रह गई ।

भैया तिरंगे में लिपटे हुए चार कंधो पर सवार हो बिट्टो की डोली को कंधा देने आ गये थे ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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