शनिवार, 14 मार्च 2015

भारतीय रेल (लघुकथा )

रेल की रेलम पेल में गर्मियों की छुट्टी में घुमने का प्रोग्राम बना तो लिया लेकिन प्लेटफार्म पर पहुँच कर गाड़ी सामने होते हुए भी भीड़ ने हमें उसकी पहुँच से बहुत दूर कर दिया ।

हम मुंह ताकते ही रह गये और ट्रेन आगे बढ़ गई ।
तब  यह एहसास हुआ कि सचमुच में भारत की जनसंख्या क्षमता से अधिक हो गई है ।

कहीं ऐसा भी हो भविष्य में  कि देश में भी ऐसी ही रेलम पेल हो जाये और हम सरक कर समंदर में पहुँच जाये ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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