शनिवार, 14 मार्च 2015

धर्मांतरण क्यों ?(लघुकथा )


" मै नहीं करूँगी अपना धर्म परिवर्तन । तुमने तो कहा था कि मै जैसी हूँ तुम्हें अच्छी लगती हूँ । "

" लेकिन बिना धर्म परिवर्तन के हमारी शादी असंभव है । "

" यह मेरे नीति के खिलाफ है । मै धर्म परिवर्तन नहीं करूँगी चाहे कुछ भी हो । " --साजिया अडिग थी अपने बातों पर ।

दिवाकर  को स्तब्ध देख कर साजिया  जैसे ही वहाँ से जाने को हुई तो अचानक दिवाकर  मुस्कुरा उठा और साजिया  का हाथ अपने हाथ में लेकर  हल्के  से दबाते हुए  कहा --" चलो हम कोर्ट मैरिज करते है । "

कान्ता राॅय
भोपाल

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