शनिवार, 14 मार्च 2015

अनपेक्षित

सालों तक यह सिलसिला चलता ही रहा था ।
कहीं कोई रिश्ते की बात चला देता और माँ  मेरे पीछे ही पड़ जाती । नहाने से पहले उबटन लगवाती थी मेरे गोरे होने के लिए ।
कोई  कैसे  समझाये मेरी भोली सी माँ को कि उबटन लगा कर नहाने से कोई गोरा नहीं हो जाता है ।

अब तो तीस साल की भी हो गई हूँ ।
माँ को भी शायद  लगने लगा है कि अब मुश्किल है मेरी शादी । 

मै  अपराध बोध से घिरी रहती हूँ । कई बार ईश्वर से भी मन ही मन लड लेती थी  ।

माँ को बेटी बिदाई की इतनी चिंता थी कि पाई पाई जोडने के चक्कर में मेरी पढ़ाई पर भी खर्च नहीं किया ।

आज जोड़े हुए पैसे भी काम नहीं आये । कोई पसंद ही नहीं करता मुझे । जो देखने आते है नाक भौं  चढाते हुए जाते है ।
इसी ऊहापोह में अब बत्तीस साल की हो गई । लोग कहते है कि मै मोटी हो रही हूँ ।
मै क्या करूं ? उम्र की निशानियों को रोकना क्या किसी के वश में है !!
कभी मन में सोचती हूँ कि  शादी के लिए  पैसे  बचाने के बजाय माँ मेरी   पढ़ाई ही करवा  देती अगर .....????

कान्ता राॅय
भोपाल

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