रविवार, 23 अगस्त 2015

जब याद तुम्हारी आती हैं ,

जब याद तुम्हारी आती हैं , थोड़ी सी मैं सो लेती हूँ । पलकों को मुंद मुंद कर , सिरहाने में रो लेती हूँ । बीते युँ पल पलछिन जैसे , तेरे ख्वाबों में जी लेती हूँ । कहना चाहती थी दिल की बातें , लेकिन होठों को मैं सी लेती हूँ । आँसुओं से यारी बरसों की , आँसुओं को मैं पी लेती हूँ ।

कांता राॅय

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