सोमवार, 24 अगस्त 2015

हृदय मेरा चंचल हुआ

_________________ हृदय मेरा चंचल हुआ प्रेम पिया संग अचल हुआ सिंधु लहरों का डेरा मन में नीरवता का देहावसान हुआ हृदय मेरा चंचल हुआ .... तुम ही जीवन तत्व मेरे हो तुम सागर मन नदी हुआ तुम पत्थर सरीखे प्रिय मेरा कातर मन द्रवित हुआ हृदय मेरा चंचल हुआ ..... जीवन की यह मर्म वेदना स्वप्न टुट कर बिखड गया अमर दीप प्रीतम नाम की यह पुण्य प्रीत तेरे नाम हुआ हृदय मेरा चंचल हुआ .....

कान्ता राॅय भोपाल

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