रविवार, 23 अगस्त 2015

ऐ दोस्त शुक्रिया

ऐ दोस्त शुक्रिया तुझे तुम मुझे मेरे होने का एहसास देते हो कोई उम्मीद नहीं है तुम्हारा मुझसे मै जैसी भी हूँ तुम्हें उसी रूप में कबूल होती हूँ तुम्हारे लिए मुझे बदलना नहीं होता है मेरे आस्तित्व की पहचान तेरे साथ होने से ही होती है तुम्हारे साथ बिताया हर पल मेरा सबसे अच्छा पल होता है तुम्हारे साथ मेरी बचपन ,जवानी सब लौट आती है ऐ दोस्त शुक्रिया तुझे तुम मुझे मेरे होने का एहसास देते हो

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