रविवार, 23 अगस्त 2015

.टुटी हुई छत / लघुकथा

मैली  सी .. कहीं -कही से उधडी   फ्राॅक को ठीक करती हुई   हाथ में  कुछ गोटी लिये खुद में ही खेलने की कोशिश में लगी हुई थी ।
माँ आज अपने  साथ ही ले आई  थी दिहाड़ी पर ।वो नहीं आना चाहती थी फिर भी  ।  उसका मन था कि वो अपने टिपरी पर ही खेले ।
वहां  टिपरी पर ...सब साथ ही खेलते थे  । आज भी सब खेल रहे होंगे ...!
बस मोना जो उसकी पक्की सहेली थी ....कई दिनों से गायब थी ।
सब कहते हैै कि उसके बाप ने उसे बेच दिया है ।
लेकिन मोना जाने से एक दिन पहले  उसे कह गई थी  कि बाप उसकी शादी कर रहा  है ।
शादी तो अच्छी बात होती है । यह बेचना कैसे हुआ भला .....!!!
मोना के जाने के बाद से ही उसके बापू  के तो  भाग जाग  गये थे ..ऐसा बापू   को कल  कहते सुना था ।
अब  उसका  बापू  भी कभी  उसकी  तरफ देखता है तो कभी अपने  टुटी हुई छत को ।

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