जब याद तुम्हारी आती हैं ,
थोड़ी सी मैं सो लेती हूँ ।
पलकों को मुंद मुंद कर ,
सिरहाने में रो लेती हूँ ।
बीते युँ पल पलछिन जैसे ,
तेरे ख्वाबों में जी लेती हूँ ।
कहना चाहती थी दिल की बातें ,
लेकिन होठों को मैं सी लेती हूँ ।
आँसुओं से यारी बरसों की ,
आँसुओं को मैं पी लेती हूँ ।
कांता राॅय
कांता राॅय
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