नई -नवेली दुल्हन सी वो आज भी लगती थी । आँखों में उसके जैसे शहद भरा हो । पिता की गरीबी नें उसे उम्रदराज़ की पत्नी होने का अभिशाप दिया था ।
उसका रूप उसके ऊपर लगी समस्त बंदिशों का कारण बना । उम्रदराज और शक्की पति की पत्नी अपने जीवन में कई समझौते करने के कारण कुंठित मन जीती है ।
आज चूड़ी वाले ने फिर से आवाज लगाई तो उसका दिल धक्क से धडक गया । वो हमेशा की ही तरह पर्दे की ओट से धीरे से उसे पुकार बैठी , " ओ , चूड़ी वाले ! "
उसके मक्खन से हाथों में ...छुअन से होने वाले सिहरन का आभास देने वाले उस चूड़ी वाले का वो बडी़ शिद्दत से इंतजार किया करती थी ।
चुड़ीवाले ने हमेशा की तरह वहीं बाहर बैठ कर अपना साजों सामान पसार लिया । उसे मालूम था कि इस मक्खन जैसे हाथ वाली को सिर्फ हरे रंग की चूड़ियाँ ही अच्छी लगती है ।
पसारे हुए सभी चूडियों में धानी रंग की चूडियों पर पर्दे की ओट से मक्खन जैसी हाथ वाली की अंगुलियों ने इशारा किया ।
कुछ ही पल में मक्खन जैसे हाथ ....चुड़ी वाले के खुरदरे से हाथ में ...देर तक ...बेचैनी और बेख्याली के पल को ..जीते रहे ।
कान्ता राॅय
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