तुम मेरी प्यारी कोलकाता
कितनी खूबसूरत हो तुम
तुमसे मुझे प्यार कितना
मेरी साँसों में ख्यालों में
तेरे सिवा कोई और ना उतरा
देखे मैने कितने शहरों को
देखे कितनी ही राजमहल
तुम तो बस तुम्ही हो
मेरी प्यारी कोलकाता
तुम में बसी है
विक्टोरिया की आत्मा
खिदीरपूर डक का सम्मोहन
ना पाया कहीं और
कालीघाट की प्रांगण जैसा
कहीं नहीं है ठौर
वो पिकनिक के दिन होते थे
दुर्गा पूजा की रातें
दिवाली की
फाटक स्ट्रीट की
सुसज्जित काली पूजा
यादों में वो
काॅलेज स्ट्रीट की गलियाँ
काॅफी हाऊस में बैठ कर
की है कितनी रंगरलियाँ
दोस्त दोस्ती की
मिशाल है कोलकाता
अड्डा मारने की सहूलियत
और मिलेगी कहाँ
वो आलूर चाॅप
वो बेगून भाजा
वो पूजा पंडाल का
खिचूडी और आलूर दम कहाँ
धर्मतल्ला के मैदान में
फुचके वाले का स्वाद
राममंदिर की पावभाजी
और मिलेगी कहाँ
झाल मुड़ी के झाल में
खोया आज भी मेरा प्यार
मानिक तल्ला सियाल्दा में
ढुंढु बारम्बार
तुम मेरी प्यारी कोलकाता
तुमसे मुझे है प्यार
कान्ता राॅय भोपाल
कान्ता राॅय भोपाल
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