तुम्हारा ही वास था मुझमें
तुम्हारा ही नाम था मुझमें
नाम में छुपा कर रखा था
साँसो का साँस था मुझमें
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तुम गये सब गया
सपने अपने सब गये
रह गई धुमिल काया
काया बस छाया भये
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वीणा के तार टुटे
रोये सप्तसुर राग
राग विराग भये
हृदय में राजे आग
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अश्रुधारा बहे निरंतर
वेग सम्भारी ना जाय
नदियाँ सागर भई
जल थल धरा हो जाय
कान्ता राॅय भोपाल
कान्ता राॅय भोपाल
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