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कलम तु बता दे मै क्या लिखू
पत्ता लिखू कि बूटा लिखू
कि लिखू प्रकृति का उपहार
कहीं आस पलती पलकों पर
कही आँसुओं की धार
कहो कलम क्या मै आँसू लिखू
या लिखू जगत व्यवहार
वियोग लिखू सजनी का
या लिखू साजन का प्यार
वफा बेवफाई का किस्सा लिखू
या लिखू फिर वही जगत व्यवहार
ऐ कलम तु ही बता दे
क्या लिखू कागज पर आज
कोरा कागज मुझे बुलाये
देखो कैसे यह फरफराये
कलम को मेरे ये तडपाये
कहो कैसे आज क्या लिखू
कैसे लिखू जगत व्यवहार
नदीयों का कल कल बहना लिखू
या झर झर झरनों का झरना
मनोरम झील में कश्तियों को
या चिनारों के पत्तों का गिरना
कहो कलम क्या चिंगारी लिखू
या चिंता में पिता का जलना
बुढिया की खाँसी में
तिरस्कृत जीवन का सपना
या लिखू यौवन की
सपनीली आँखों का सपना
सपनों का बह जाना लिखू
या ममता का बिक जाना
कहो कलम बहुत है लिखने को
किसको लिखू आज मै अपना
अपने का अपना कहना
पल भर में हुआ सपना
लिखू उन सपनो को
जो कभी हुआ ना अपना
लोकतंत्र जनतंत्र सब झोल झाल
पोल खोल राजनीति ऐजेंडा
किसका कैसा झंडा
कलम क्या तु डर जायेगी
कलम क्या तु मर जायेगी
कलम जब तु डर जायेगी
मान लो तु मर जायेगी
लिख दो जो मन कहे
लिख दो जो समय कहे
देश जन कल्याण लिख दो
प्राणों का किसमें प्राण लिख दो
मिट्टी यह बलिदान लिख दो
लिख दो समस्त व्यवहार
लिख दो जगत व्यवहार
कान्ता राॅय भोपाल
कान्ता राॅय भोपाल
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