" बेटा , तुमने यह शोध के लिए कैसा विषय चुन लिया ! मेरा मानना है कि तुम विषय बदल लो । "
" पापा जी , यह विषय मैने बहुत ही सोच कर लिया है । मैने बहुत कुछ जाना है खाप पंचायत के विषय में । यह इतनी कुरूप कभी नही रहीं थी पहले ।
खाप पंचायत सामाजिक एकता और भाई चारे की प्रतीक थी ।
सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने के लिए संकल्पित अचानक कहाँ और कैसे उन्मादी , अहंकारी , संकीर्ण और हिंसक प्रवृत्ति के हो गये पता ही नही चला । बुजुर्गों और बुद्धि जीवी लोगों की कमी के कारण गैर - कानूनी फैसले , दहसत नुमा फैसलों ने खाप पंचायत को बदनाम कर दिया ।
मै चाहता हूँ कि कुछ ऐसा करू कि खाप पंचायत की पूर्ववत गरिमा वापस ला सकूँ ।
खाप पंचायत में बुजुर्गों की और बुद्धिजीवी वर्गों की पैठ हो फिर से । "
पिता आज पहली बार बेटे को अपने से बहुत ऊँचा कद होता देख रहे थे ।
कान्ता राॅय
भोपाल
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