" साल में नब्बे दिन परिवार के एक सदस्य को काम देकर सरकार समझती है कि मजदूरों का पेट भर दिया ! क्या साल के नब्बे दिन ही मजदूरों का पेट भरना चाहिए ? " -- प्रेसवार्ता में मंत्री जी से एक नवोदित प्रेस रिपोर्टर ने यह सवाल पूछा तो मंत्री जी सवाल का जबाव ना देकर कर रिपोर्टर के घर का अता पता पूछने लगे ।
हालात के गंभीरता को भाँपते हुए अचानक बाकी रिपोर्टरों में अफरा तफरी मच गई प्रेसवार्ता को खत्म करने के लिए ।
अति उत्साहित नवोदित प्रेस रिपोर्टर " तीन महीना काम नौ महीना आराम " के प्रश्नों के जाल में भ्रमित होकर रह गई ।
कान्ता राॅय
भोपाल
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