शनिवार, 14 मार्च 2015

मनरेगा (लघुकथा )

" साल में नब्बे दिन परिवार के एक सदस्य को काम देकर सरकार समझती है कि मजदूरों का पेट भर दिया !  क्या साल के  नब्बे दिन ही मजदूरों  का पेट भरना चाहिए  ? " --  प्रेसवार्ता में  मंत्री जी   से   एक नवोदित प्रेस रिपोर्टर ने  यह सवाल   पूछा  तो मंत्री जी सवाल का जबाव ना देकर  कर रिपोर्टर के घर का अता पता पूछने लगे ।

हालात के गंभीरता को भाँपते हुए   अचानक बाकी रिपोर्टरों में अफरा तफरी मच गई प्रेसवार्ता को खत्म करने के लिए  ।

अति उत्साहित नवोदित प्रेस रिपोर्टर " तीन महीना काम नौ महीना आराम "  के प्रश्नों के जाल में भ्रमित होकर रह गई ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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