"साहब , कितनी देर से बैठा हूँ थाने में अब तो रिपोर्ट दर्ज कर दीजिये । "
" मामला क्या है ? "-- उचटती नजर से थानेदार ने पूछा तो लगा कि अब शायद काम हो जाये ।
" साहब , बेटी को घर से कुछ गुंडे उठा कर ले गये । "-- रामलोचन लगभग रो पडा था ।
"अरे , फिर से लौंडा लौंडिया का केस ? " -- रामलोचन के आँसुओं से बेपरवाह थानेदार खीज उठा था ।
"जाओ थोड़ी देर बाहर बैठो । दुसरा तुम्हारा केस देखेगा । अभी मै मंत्री जी के महत्वपूर्ण केस में उलझा हूँ । "--
रामलोचन को रह रह कर बेटी का बेबस चेहरा उतावला कर रहा था ।
" पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाने के लिए भी जिगर और ओहदा चाहिए भाई । यह जगह मजबूरो के लिए नहीं शायद ..!! "--- समीप में बैठा एक और लाचार रामलोचन को देख मुस्कुरा रहा था ।
कान्ता राॅय
भोपाल
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