" छनाक !! "
" फिर से क्या तोड़ डाला आपने मम्मी जी ? "
" बेटा , वो बाऊल हाथ से फिसल गया फिर से ..! "
" उफ्फ ! मम्मी जी आप तो मेरी डिलीवरी होने तक कुछ रहने ही नहीं देंगी । आये दिन बर्तन फोडती रहती हो । सारा सेट बिगाड़ कर रख दिया आपने ! "
रमा नये फैशन के बर्तनों से सजी शीशे की रसोई में बेहद घबराई हुई , स्टील के बर्तनों से सजी सौंधी सी खूशबू वाली अपनी पुरानी रसोई को याद कर रही थी ।
कान्ता राॅय
भोपाल
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