उसका दिवानों जैसा हाल था
रात दिन ना जरा ख्याल था
पीछे पडा रहता था माशूका के
दुनिया का ना कोई परवाह था
एक दिन इकरार हो गया
बेइंतहा प्यार हो गया
आखिर इश्क की जीत हुई थीं
दोनों की प्रीत में प्रीत हुई थीं
प्यार के आगोश में डूबे दो दिल
दो जिस्म एक जान बने
खोकर सारे होशो हवास
बेसुध औ बेजान बनें
अचानक यह क्या हुआ
दिवाना होशमंद हो गया
लौटना आसान हुआ उसका
वो मुहब्बत में फिक्रमंद हो गया
दिवानी सुध बुध खोकर
अाज भी वहीं पडीं हुई
दिवानी दुनिया से अनजान है
ये इश्क की अजीब दास्तान है
ये इश्क की अजीब दास्तान है
कान्ता राॅय
भोपाल
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें