गुरुवार, 12 नवंबर 2015

हैरी पोर्टर की दुनिया ( कविता )


हैरी पोर्टर की दुनिया में
वो रहता मसगूल
नोमिता और सिंगचेन बनकर
ही होना है मशहूर
वो कहता है माँ से
मुझे चाहिए माॅसमेलो
चावल दाल भूल कर
बन गया राईस केक का फैलो
खीर हलवा पूरी
अब हुई पुरानी बात
करना हो तो करो चाऊमिन पिज़्ज़ा
रोल वोल की बात
माँ बन गई माॅम
पापा का तो काम तमाम
ऐश और पिकाचू लेकर
याद रहा बस पोकीमोन
स्पाइडर मैन का जादू
ऐसा सर चढकर बोला
सुपर मैन और आयरन मैन
से एवेंजेर तक
सबका बन गया चेला
कहाँ गये विवेकानन्द ,
नेताजी सुभाष चंद्र से हीरो
बन गये इनके आदर्श
अब फिल्मिया हीरो
घट रहा है घुट रहा है
मासूमियत बचपन का
स्वभाव में रह गया बस
हरकत विडियो गेम सी
भटक रही है मरूभूमि में
मृगतृष्णा सा बचपन
सच की जमीन सरक गई
लड़कपन जिये उम्र पचपन
                  कान्ता राॅय
                     भोपाल

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