गुरुवार, 12 नवंबर 2015

कैरियर की कीमत /लघुकथा


" ये क्याsss !!! " दिल की धड़कन जैसे रूक गई थी ।
केफिटेरिया में लगी बडी सी स्क्रीन पर उसके पसंदीदा खिलाड़ी अवि अत्रे के सन्यास की खबर जैसे ही फ्लैश हुई कि हाथों से फाईल फिसल कर गिर पड़ी । अकचकाती हुई कुछ पल तक देखती ही रह गई । होश आया तो वह .....!
कीर्ति के शिखर पर बैठे हुए जब इस खिलाड़ी को सन्यास लेने में पल भर नहीं सोचना पड़ा तो वह , तुच्छ सी इस कैरियर के लिए अपनी दुधमुंही को मातृत्व से वंचित कर , उसे दिन भर के लिए उस झूले घर में छोड़ आई है ?
" मेरी बच्ची झूलाघर में परवरिश पायेगी ...... ? नहीं , बिलकुल नहीं ! " वह बुदबुदा उठी ।
अगले ही पल नीचे गिरे फाईलों को उठाती हुई वह अपने दृढ़ निश्चय पर पहुँच चुकी थी ।

कान्ता राॅय
भोपाल

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