गुरुवार, 12 नवंबर 2015

क्यों वो अकेली / लघुकथा


नाट्यशाला की गहमागहमी से ही समझ में आ रहा था कि आज मंजे हुए कलाकारों की खास प्रस्तुति होनी है ।
सुहासिनी जी की मुख्य भूमिका में आज उनकी टीम का ऐतिहासिक रंगमंच प्रस्तुतीकरण था ।
नियत समय पर पर्दा उठते ही सुहासिनी जी स्टेज पर बडी़ कुशलता से नृत्य की शुरुआत करी । अपने सहभागियों की प्रस्तुति के लिए नदारद देख , वो चिंतित थी ।
सामने विशाल दर्शक दीर्धा और वह अकेली । स्तब्ध सी अब नाटिका की कर्णधार बन मगन वो , एक साँस में ही समस्त पात्रों को अपने नृत्य में उतार देर तक नाचती रही। तालियों से नाट्यशाला गुँजा उठा ।
मिडिया कर्मियों द्वारा बखानी जाने पर मालूम हुआ कि उसके द्वारा एकल नृत्य नाटिका में नृत्य का कोई नया मिशाल आज कायम हुआ है ।
लेकिन सुहासिनी जी की निगाहें भीड़ में दूर तलक अपनों के चेहरों को तलाश रही थी ।
कान्ता राॅय
भोपाल

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